Rahul Bajaj Death News: दिग्गज कारोबारी और करीब 40 सालों तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे राहुल बजाज (Bajaj Group chairman Rahul Bajaj) का शनिवार को पुणे में निधन (Rahul Bajaj passes away) हो गया है। उनकी तरफ से समाज को दिए गए योगदान के चलते उन्हें 2001 में पद्म भूषण (Padma Bhushan Rahul Bajaj) सम्मान से भी नवाजा गया था। जानिए हमारा बजाज (Hamara Bajaj) वाले राहुल बजाज की नेट वर्थ (Rahul Bajaj Net Worth), जीवनी (Rahul Bajaj Profile) बायोग्राफी (Rahul Bajaj Biography), परिवार (Rahul Bajaj Family Tree Son) समेत उनके बारे में सब कुछ।
नई दिल्ली:
भारतीय उद्योग जगत 12 फरवरी 2022 का ये दिन कभी नहीं भूलेगा। आज ही के दिन उस शख्स ने इस दुनिया को अलविदा कहा, जिसने कभी आम आदमी को भी स्कूटर पर चलने की ताकत दी थी। हम बात कर रहे हैं हमारा बजाज (Hamara Bajaj) वाले राहुल बजाज (Bajaj Group chairman Rahul Bajaj) की, जिन्होंने आम आदमी की पहुंच भी दोपहिया गाड़ी की। पद्म भूषण के सम्मान (Padma Bhushan Rahul Bajaj) से नवाजे जा चुके दिग्गज कारोबारी राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में निधन (Rahul Bajaj passes away) हो गया है। 83 साल के राहुल बजाज लंबे समय से बीमार थे और कैंसर से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। जानिए हमारा बजाज (Hamara Bajaj) वाले राहुल बजाज की नेट वर्थ (Rahul Bajaj Net Worth), जीवनी (Rahul Bajaj Profile) बायोग्राफी (Rahul Bajaj Biography), परिवार (Rahul Bajaj Family Tree Son) समेत उनके बारे में सब कुछ।
कितनी है राहुल बजाज की नेट वर्थ?फोर्ब्स ने 2016 में दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में उन्हें शामिल किया था। उस वक्त उन्हें लिस्ट में 722वीं रैंक मिली थी और उनकी नेट वर्थ 2.4 अरब डॉलर थी। अगर फोर्ब्स की रीयल टाइम लिस्ट के हिसाब से देखें तो 12 फरवरी 2022 को राहुल बजाज की नेट वर्थ 8.2 अरब डॉलर यानी करीब 62000 करोड़ रुपये है। राहुल बजाज को दोपहिया वाहन की दुनिया में एक क्रांति लाने के लिए जाना जाता है।
40 सालों तक रहे बजाज ऑटो के चेयरमैनराहुल बजाज ने 1965 से लेकर 2005 तक यानी 40 साल तक बजाज ऑटो के चैयरमैन का पद संभाला और कंपनी को बुलंदियों तक पहुंचाया। उनके बाद 2005 में उनके बेटे राजीव बजाज ने कंपनी की बागडोर अपने हाथ ले ली। 2006 में वह राज्य सभा में सांसद के तौर पर चुने गए और 2010 तक देश की सेवा राजनीति में रहते हुए की। राजनीति की दुनिया में रहते हुए भी वह हर बात पर अपनी बेबाक राय देते रहे। 2005 के बाद भी वह नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन की भूमिका में रहे और 2021 में उन्होंने यह पद छोड़ा।
पद्म भूषण समेत मिले कई सम्मानराहुल बजाज की तरफ से समाज को दिए गए योगदान के चलते उन्हें 2001 में पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। स्कूटर की दुनिया में क्रांति से उन्होंने पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा दिया था। राहुल बजाज कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के दो बार (1979-80 और 1999-2000) प्रेसिडेंट भी चुने गए। इस दौरान उन्हें 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरफ से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया था। उन्हें 'नाइट ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर' नाम के फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
कौन-कौन हैं राहुल बजाज के परिवार में?राहुल बजाज के 2 बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज हैं, जो कंपनी के मैनेजमेंट में हैं। वहीं उनकी बेटी सुनैना बजाज की शादी मनीष केजरीवाल से हुई है, जो Temasek India के प्रमुख रह चुके हैं। 10 जून 1938 को जन्मे राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था।
दिन, हफ्ते या महीने नहीं... सालों का वेटिंग पीरियडअगर आज आप कोई गाड़ी खरीदना चाहें और वह बहुत लोकप्रिय हो तो कुछ दिन, हफ्ते या अधिकतम कुछ महीनों के वेटिंग पीरियड के बाद गाड़ी आपको मिल जाएगी, लेकिन उस दौर में ऐसा नहीं था। एक वक्त था जब बजाज के स्कूटर हमारा बजाज वाले विज्ञापन से खूब लोकप्रिय थे। हर किसी की जुबां पर हमारा बजाज छाया रहता था। बजाज के स्कूटर का वेटिंग पीरियड सालों में पहुंच जाता था। कई लोग तो बुकिंग की पर्ची बेचकर ही पैसे कमा लेते थे, क्योंकि मांग बहुत ज्यादा थी और सप्लाई बहुत कम।
हमारा बजाज की दिलचस्प कहानीबजाज ऑटो की स्थापना 1960 में हुई थी, जिससे पहले यह कंपनी बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन हुआ करती थी। हमारा बजाज की कहानी 1926 से शुरू होती है, जब जमनालाल बजाज ने कारोबार के लिए बछराज एंड कंपनी नाम की फर्म बनाई थी। उनकी मौत के बाद दामाद रामेश्वर नेवटिया और दो बेटों कमलनयन और रामकृष्ण बजाज ने बछराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन की स्थापना की। आजादी के बाद 1948 में विदेशों से पार्ट्स मंगाकर उन्होंने दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाईं।